Saturday, June 20, 2020
International Yoga Day 2020: पीएम मोदी ने दिया इम्यूनिटी मजबूत करने का ये मंत्र, जानें इसका तरीका
योगियों ने श्वास (Breath) पर गहन गंभीर प्रयोग किए और यह निष्कर्ष निकाला कि प्राण को साध लेने पर सब कुछ साधा जा सकता है. श्वासों का संतुलित होना मनुष्य के प्राणों के संतुलन पर निर्भर करता है.
- LAST UPDATED:JUNE 21, 2020, 8:58 AM IST
प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है
योगियों ने श्वास पर गहन गंभीर प्रयोग किए और यह निष्कर्ष निकाला कि प्राण को साध लेने पर सब कुछ साधा जा सकता है. श्वासों का संतुलित होना मनुष्य के प्राणों के संतुलन पर निर्भर करता है. प्राणों के सम्यक् व संतुलित प्रवाह को ही प्राणायाम कहते हैं. प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है. अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएं होती हैं. योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम. प्राणायाम करते या श्वास लेते समय हम तीन क्रियाएं करते हैं- पूरक, कुम्भक और रेचक. इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं अर्थात श्वास को लेना, रोकना और छोड़ना. अंतर रोकने को आंतरिक कुम्भक और बाहर रोकने को बाह्म कुम्भक कहते हैं. प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है - 'प्राण (श्वसन) को लम्बा करना' या 'प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना'. प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है. यह प्राण-शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है. योगासनों के बाद हर व्यक्ति को प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए. हम ऐसे 3 प्राणायाम के बारे में बता रहे हैं, जिनका रोजाना अभ्यास करना चाहिए.
कफ से संबंधित गड़बड़ियों को दूर करता है.
चित्त को शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है.
उज्जयी प्राणायाम
किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जाएं. सुखासन में बैठना ठीक है. आंखें बंद कर लें और दोनों नॉस्ट्रिल्स से हल्के हल्के लंबी सांस भरें और निकालें. ध्यान यह रखना है कि सांस को भरते और निकालते वक्त गले की मांसपेशियां सिकुड़ी हुई अवस्था में हों जिससे एयर पैसेज छोटा हो जाए. ऐसी स्थिति में सांस लंबी और गहरी होगी. गले द्वारा पैदा किए जा रहे अवरोध की वजह से सांस लेने और बाहर निकलने की आवाज होगी.
फायदे
इस प्रक्रिया में पैदा होने वाली ध्वनि मन को शांत करती है.
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलती है और हार्ट रेट कम होता है.
नींद न आने और माइग्रेन में भी यह फायदेमंद है.
अस्थमा और टीबी को ठीक करने में मददगार है.
भ्रामरी प्राणायाम
सुखासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें. दोनों हाथों को चेहरे पर लाएं. दोनों अंगूठे दोनों कानों में जाएंगे, तर्जनी उंगली आंखों के ऊपर रखें, मध्यमा उंगली नाक के पास, अनामिका होंठ के ऊपर और सबसे छोटी उंगली होंठ के नीचे रहेगी. इसे शनमुखी मुद्रा कहते हैं. नाक से गहरा और लंबा सांस लें. अब भरे गए सांस को भंवरे के गूंजने की आवाज करते हुए बाहर निकालें. यह 1 राउंड हुआ. इस तरीके से 5 राउंड कर लें. बाद में बढ़ा भी सकते हैं.
फायदे
मन शांत होता है और दिमाग को आराम मिलता है.
नींद न आने की समस्या से छुटकारा.
ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है.
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